बिहार के सात जिलों में पिछले 24 घंटे के दौरान वज्रपात की चपेट में आने से 12 लोगों की मौत हो गई. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, एक जुलाई से अब तक आकाशीय बिजली की चपेट में आने से मरने वाले लोगों की संख्या 42 हो गई है. इनमें से 10 लोगों की मौत रविवार और नौ लोगों की मौत शनिवार को हुई.
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, पिछले 24 घंटे के दौरान वज्रपात की चपेट में आने से जमुई और कैमूर में तीन-तीन, रोहतास में दो, सारण, सहरसा, भोजपुर और गोपालगंज में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है.
खराब मौसम में सतर्कता बरतें
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वज्रपात से हुई इन मौत पर गहरी सवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि वह आपदा की इस घड़ी में प्रभावित परिवारों के साथ हैं. मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपए का आर्थिक मदद देने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने अपील की है कि सभी लोग खराब मौसम में पूरी तरह से सतर्कता बरतें और खराब मौसम होने पर वज्रपात से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए सुझावों का पालन करें.
साल 2022 में वज्रपात से 400 मौतें
इस साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान राज्य विधानसभा में पेश की गई नवीनतम बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2023-24) रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 2022 में वज्रपात से संबंधित 400 मौतें हुईं. वज्रपात से सबसे अधिक 46 मौतें गया में हुई. इसके बाद भोजपुर में 23, नवादा और बांका में 21-21, औरंगाबाद में 20 और नालंदा तथा कैमूर में 18-18 लोगों की जान गई.
प्राकृतिक आपदाएं और दुर्घटनाएं
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 से 2022 के बीच राज्य में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं के कारण 9,687 मौतें हुईं. 2022-2023 में सबसे ज्यादा मौतें डूबने (1,132) के कारण हुईं, इसके बाद सड़क दुर्घटनाएं (654) और बिजली गिरने (400) से हुईं. इसमें कहा गया है कि बिहार ने 2022-2023 में आपदाओं के प्रबंधन के लिए 430.92 करोड़ रुपए आवंटित किए, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा बिजली गिरने और डूबने जैसी स्थानीय आपदाओं (285.22 करोड़ रुपए) के लिए दिया गया.
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