Kalashtami Vrat 2024: हिंदू धर्म में भगवान काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित कालाष्टमी तिथि का बड़ा ही महत्व होता है. धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ तिथि के मौके पर कालभैरव की पूजा-पाठ करने से दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिलता है. इस दिन को कालाष्टमी इसलिए कहते हैं क्योंकि इस तिथि के दिन भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे. यह शुभ तिथि भगवान भैरव से असीम शक्ति प्राप्त करने की तिथि मानी जाती है. इसलिए इस दिन पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व माना गया है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 27 जुलाई दिन शनिवार को रात 9 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी और 28 जुलाई दिन रविवार को रात 7 बजकर 27 पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, कालाष्टमी का पर्व 28 जुलाई दिन रविवार को मनाया जाएगा.
मासिक कालाष्टमी की पूजा विधि
- कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें.
- पूजा के स्थान को अच्छी तरह से साफ करें और फिर एक वेदी पर भैरव बाबा की प्रतिमा स्थापित करें.
- फिर पंचामृत से कालभैरव की प्रतिमा का अभिषेक करें और इत्र लगाएं
- इसके बाद फूलों की माला अर्पित करें, साथ ही चंदन का तिलक लगाएं.
- भगवान काल भैरव को फल, मिठाई, घर पर बने प्रसाद का भोग लगाएं.
- भगवान के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काल भैरव अष्टक करें.
- आखिर में आरती से पूजा को समाप्त करें और अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें.
- अगले दिन व्रती इसी प्रसाद से अपना व्रत खोल सकते हैं और जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं और उनकी सहायता करें.
भैरव बाबा को ऐसे प्रसन्न
कालाष्टमी के दिन भगवान बटुक भैरव को कच्चा दूध अर्पित करें और काल भैरव को शराब अर्पित करें. कई लोग इस दिन उन्हें शराब का भोग लगाते हैं. इसके अलावा हलुआ, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं. इमरती, जलेबी और 5 तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की आराधना करने से लोगों को सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
कालाष्टमी के दिन दान करने से पापों का नाश होता है और ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है. काल भैरव के आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन खास चीजों का दान करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है और पति-पत्नी के बीच रिश्ता भी मजबूत होता है.