Narmada River: नर्मदा नदी का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है. इस नदी में स्नान करना गंगा नदी में स्नान करने के बराबर माना जाता है. इस नदी का हर कंकड़ शंकर के समान है, जिसे नर्मदेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा नदी की परिक्रमा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. नर्मदा को रेवा और कुंवारी नदी के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों इस नदी को कुंवारी नदी के नाम से पुकारा जाने लगा?
नर्मदा नदी खासियत
नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा” कहा जाता है. यह मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है. गोदावरी नदी और कृष्णा नदी बाद नर्मदा नदी भारत में बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है. महाकाल पर्वत के अमरकंटक स्थान से निकलकर नर्मदा नदी पश्चिम दिशा की तरफ बहती हुई खम्भात की खाड़ी में मिल जाती है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात में बहती है और आज भी मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भारत में नर्मदा नदी को भी मां का दर्जा दिया जाता है.
नर्मदा ऐसे बनी कुंवारी नदी
पौराणिक कथा के अनुसार नर्मदा राजा मैखल की एक पुत्री थी. नर्मदा बहुत ही ख़ूबसूरत, गुणी और आज्ञाकारी पुत्री थी. नर्मदा के विवाह योग्य होने पर मैखल ने उनके विवाह की घोषणा करवाई. साथ ही यह भी कहा कि जो भी राजकुमार गुलबकावली का पुष्प लेकर आएगा राजकुमारी का विवाह उसी के साथ होगा. इसके बाद कई राजकुमार आए लेकिन कोई भी राजा मैखल की शर्त पूरी नहीं कर सका. तभी राजकुमार सोनभद्र आए और राजा की गुलबकावली पुष्प की शर्त पूरी कर दी. इसके बाद नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हो गया.
कुवांरी रहने की ली कसम
राजकुमारी नर्मदा की एक सहेली थी जिसका नाम जुहिला था. वह नर्मदा की दासी लेकिन नर्मदा कुल या जाति का अहंकार नहीं था. इसलिए वही उसके साथ सहेली की तरह ही रहती और उससे अपनी बातें साझा करती थी. सोनभद्र के साथ विवाह तय होने के बाद राजकुमारी नर्मदा की इच्छा हुई कि वह एक बार सोनभद्र को देख लें. जिसके लिए उसने अपनी दासी जुहिला को राजकुमार के पास संदेश देकर भेजा. लेकिन काफी समय बीतने के बाद राजकुमारी को चिंता होने लगी और वह उसकी खोज में निकल गईं. तभी वह सोनभद्र के पास पहुंचीं और वहां जुहिला को उनके साथ देखा. यह देखकर उन्हें अत्यंत क्रोध आया. इसके बाद ही उन्होंने आजीवन कुंवारी रहने का प्रण लिया और उल्टी दिशा में चल पड़ीं.