चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग होने के बाद हर रोज नई जानकारी सामने आ रही है. इस बीच 27 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर प्रज्ञान रोवर के सामने 4 मीटर व्यास वाला गड्ढा आ गया और उसने इस बाधा को भी पार कर लिया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को बताया कि रोवर को अपने स्थान से 3 मीटर आगे गड्ढा मिला, जिसके बाद उसको रास्ता बदलने का निर्देश दिया गया. अब वह सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है.
इसरो ने चंद्रमा पर मिले बड़े गड्ढे की तस्वीर भी एक्स (ट्विटर) पर शेयर की है, जिसमें एक बड़ा गड्ढा साफ तौर पर देखा जा सकता है, जबकि दूसरी तस्वीर में रोवर के गुजरने के निशान बने हुए हैं. दरअसल, कुछ ही दिन पहले चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करके इतिहास रच दिया, जिससे भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया.
इससे पहले रोवर लगभग 100 मिमी की गहराई वाले क्रेटर यानी गड्ढे को पार करने में कामयाब रहा. इस उपलब्धि ने इसरो कंट्रोल रूम में आत्मविश्वास पैदा किया है, जहां ऐसी कई चुनौतियों के जरिए रोवर को निर्देश दिए जा रहे हैं. साथ ही साथ उसको मॉनिटर किया जा रहा है. 6 पहियों वाला और सौर ऊर्जा से संचालित रोवर अपेक्षाकृत अज्ञात क्षेत्र के चारों ओर घूम रहा है. वह तस्वीरें और वैज्ञानिक डेटा भेज रहा है.
चंद्रयान-3 के तीन उद्देश्य, दो हुए पूरे
चंद्रमा पर एक दिन पूरा होने में केवल पृथ्वी के 10 दिन शेष हैं. स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर (एसएसी) के डायरेक्टर नीलेश एम. देसाई का कहना है कि चंद्रयान-3 का रोवर मॉड्यूल प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है. इसरो के वैज्ञानिक दक्षिणी ध्रुव पर तय अधिकतम दूरी को कवर करने के लिए काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि चंद्रयान मिशन के तीन मुख्य उद्देश्य रहे हैं. इनमें चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग, प्रज्ञान का मूवमेंट और रोवर और लैंडर विक्रम से जुड़े पेलोड के माध्यम से विज्ञान डेटा प्राप्त करना शामिल है. इनमें से दो मुख्य उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरे हो गए हैं, लेकिन तीसरे उद्देश्य पर काम किया जा रहा है. इससे पहले रविवार को इसरो ने कहा कि चंद्रयान -3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल ने अपने प्रयोगों को सफलतापूर्वक करना शुरू कर दिया है और उन्हें देश की अंतरिक्ष एजेंसी के मुख्यालय में वापस भेजा है.