सनातन धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए लोग विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं. साथ ही समय-समय पर घरों में हवन, कथा या कीर्तन आदि कराते हैं. क्योंकि इससे वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती. पूजा-पाठ के दौरान उपयोग होने वाली सबसे महत्वपूर्ण चीज नारियल होती है. ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर पूजा में नारियल का इस्तेमाल महत्वपूर्ण क्यों माना गया है? तो आइए जानते हैं आपके इस सवाल का जवाब और इसके पीछे छिपे धार्मिक महत्व के बारे में डिटेल से.
पूजा-पाठ में क्यों उपयोग होता है नारियल?
हिन्दू धर्म में नारियल को बहुत ही शुभ माना गया है और इसलिए अधिकतर मंदिरों में नारियल फोड़ने या चढ़ाने रिवाज है. यहां तक कि लगभग सभी देवी-देवताओं को नारियल चढ़ाया जाता है और कहते हैं कि इसके बिना पूजा सम्पन्न नहीं होती. खासतौर पर जब कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उससे पहले नारियल फोड़कर भगवान को चढ़ाना शुभ होता है. इसके अलावा हवन,अनुष्ठान या किसी अन्य पूजा—पाठ के कार्यों में उपयोग होने वाली पूजन की सामग्री में भी नारियल अहम होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान को नारियल चढ़ाने से जातक के दुःख-दर्द समाप्त होते हैं और धन की प्राप्ति होती है. प्रसाद के रूप में मिले नारियल को खाने से शरीर की दुर्बलता दूर होती है.
नारियल में बनी तीन आंखों का मतलब!
पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विष्णु भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते समय मां लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु को अपने साथ पृथ्वी पर लेकर आए थे. नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है जिसमें त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. भगवान शिव को भी नारियल बहुत प्रिय है. नारियल पर बनी तीन आंखों की तुलना शिवजी के त्रिनेत्र से की जाती है. इसलिए नारियल को बहुत शुभ माना जाता है और पूजा-पाठ में प्रयोग किया जाता है.
शुभ कार्य से पहले क्यों फोड़ा जाता है नारियल?
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले नारियल फोड़ने की परंपरा है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है. एक बार ऋषि विश्वामित्र ने इंद्र से नाराज होकर दूसरे स्वर्ग की रचना करने लगे. लेकिन वह दूसरे स्वर्ग की रचना से असंतुष्ट थे. फिर उन्होंने पूरी सृष्टि ही दूसरी बनाने के बारे में सोचा. दूसरी सृष्टि के निर्माण करते समय उन्होंने मानव के रूप में नारियल का निर्माण किया. इसीलिए नारियल के खोल पर बाहर दो आंखें और एक मुख की रचना होती है. एक समय में हिन्दू धर्म के मनुष्य और जानवरों की बलि एक समान बात थी. तभी इस परम्परा को तोड़कर मनुष्य के स्थान पर नारियल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई. पूजा में नारियल फोड़ने का अर्थ ये होता है की व्यक्ति ने स्वयं को अपने इष्ट देव के चरणों में समर्पित कर दिया और प्रभु के समक्ष उसका कोई अस्तित्व नहीं है. इसलिए पूजा में भगवान के समक्ष नारियल फोड़ा जाता है.
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