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October 18, 2024
Religion

Mahashivratri 2024 Date: 8 या 9 मार्च, किस तारीख को मनाई जाएगी महाशिवरात्रि? जान लें पूजा का समय और व्रत के नियम

Mahashivratri 2024 Datei: हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का उपवास किया जाता है। एक साल में इस तरह 12 शिवरात्रि पड़ती हैं। हालांकि सबसे ज्यादा महत्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को माना जाता है इसे महाशिवरात्रि के रूप में जाना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्त भोलेशंकर की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ है।

इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की लंबी लाइन लगी होती है। मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। इस बार चतुर्दशी तिथि दो तारीख यानि 8 मार्च और 9 मार्च को पड़ रही है, जिससे लोगों के बीच महाशिवरात्रि की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जानिए महाशिवरात्रि कौन की तारीख को मनाई जाएगी और पूजा का मुहूर्त क्या है?

महाशिवरात्रि कब है?

चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात्रि से प्रारंभ होगी और हिंदू पंचांग के अनुसार जिस तारीख में तिथि का उदयन होता है उसी तारीख में त्योहार को मनाया जाता है। यानि 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। हालांकि महाशिवरात्रि की पूजा 4 प्रहर में की जाएगी। जिसमें 9 मार्च को भी पूजा करने का विशेष योग है।

महाशिवरात्रि – 8 मार्च 2024 दिन शुक्रवार (Mahashivratri 2024 Puja Muhurat)

  • निशिता काल प्रथम पूजा मुहूर्त – 9 मार्च 2024 को देर रात्रि 12 बजकर 7 मिनट से लेकर 12 बजकर 56 मिनट तक।
  • निशिता काल की कुल अवधि- 49 मिनट तक।
  • रात्रि प्रथम पूजा का मुहूर्त- 8 मार्च 2024 को शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर 9 बजकर 28 मिनट तक।
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का मुहूर्त- 8 मार्च 2024 को रात्रि 9 बजकर 28 मिनट से लेकर 9 मार्च 2024 को देर रात 12 बजकर  31 मिनट तक।
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा का मुहूर्त- 9 मार्च 2024 को देर रात्रि 12 बजकर 31 मिनट से लेकर सुबह 3 बजकर 34 मिनट तक।
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का मुहूर्त- 9 मार्च 2024 को सुबह 3 बजकर 34 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 37 मिनट तक।

महाशिवरात्रि पूजा की विधि

सुबह स्नान करके शिव को पंचामृत से स्नान कराएं और ऊं नम: शिवाय का जाप करें। शिवलिंग का अभिषेक करते हुए आप महामृत्युंजय का जाप भी कर सकते हैं। शिवलिंग पर जल, दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। शिव को बेर, धतूरा, भांग और बेलपत्र अर्पित करें। रात्रि में जागरण करें और सुबह प्रसाद बांटकर व्रत का समापन करें।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। TOPHINDUSTAN.COM एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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