DESK: एनआईए ने प्रतिबंधित संगठन पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के मोतिहारी मॉड्यूल के मुख्य आरोपी याकूब खान उर्फ सुल्ताम उर्फ उस्मान को दो दिन पहले गिरफ्तार किया। इसके बाद जांच एजेंसी ने बताया कि पूर्वी चंपारण जिले के रहने वाले इस आतंकी का पकड़ा जाना इस मामले में 15वीं गिरफ्तारी है। जांच में यह बात सामने आई है कि 22 साल का याकूब दुबई में बैठे मो. सज्जाद आलम के अलावा रेयाज मो. आरिफ, मो. बिलाल समेत अन्य आतंकियों से निरंतर संपर्क में था। वह इनसे प्राप्त निर्देशों के आधार पर ही यहां टेरर ट्रेनिंग कैंप का संचालन करता था। वह वाट्सएप के जरिए इन लोगों से निरंतर बात भी करता था। इसके प्रमाण भी जांच में मिले हैं। मो. सज्जाद के साथ इसके कई चैट और कॉलिंग के प्रमाण सामने आए हैं।
एनआईए की मोतिहारी में छापेमारी से पहले वह अपनी चाची के साथ बेतिया जाकर कुछ दिनों के लिए छिपा था। इसके बाद वह नेपाल के पोखरा चला गया। यहां वह इस मामले के दूसरे प्रमुख आरोपी मो. इरशाद आलम के साथ रहता था। बीते 18 मार्च को मो. इरशाद को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद वह भागकर मुंबई के धारावी में अपनी दूसरी चाची और दोस्तों के साथ रहने लगा। अप्रैल में वह मुंबई से लौटकर आया। वह पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में कई रिश्तेदारों एवं करीबियों से निरंतर संपर्क में था। इस मामले में एनआईए पहली चार्जशीट 7 जनवरी को दायर कर चुकी है, जिसमें चार को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
पीएफआई के ट्रेनिंग कैंप का मुख्य प्रशिक्षक था याकूब
याकूब मोतिहारी में संचालित होने वाले पीएफआई के ट्रेनिंग कैंप का मुख्य ट्रेनर था। वह हथियारों का एक्सपर्ट था और कई ट्रेनिंग सेशन लेता था। साथ ही एक वाट्सएप ग्रुप भी चलाता था, जिसमें पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर जिलों के कई नजदीकियों के अलावा कट्टर मानसिकता वाले लोग जुड़े हुए थे। इस ग्रुप के माध्यम से वह देशद्रोही गतिविधियां संचालित करता था। युवाओं को धर्म और कट्टरवादी मानसिकता के आधार पर भड़काने का काम करता था।
उसके पास से इस तरह के कई मैसेज और सामग्रियां भी बरामद हुई हैं। वह सभी जुड़े लोगों को हिंसा भड़काने से जुड़े एजेंडे को समझाता था और उग्र धार्मिक मानसिकता का प्रचार-प्रसार करता था। सोशल मीडिया का उपयोग कर इस पर लोगों की भावना को भड़काने वाले संदेशों या वीडियो को अपलोड करके समुदायों के बीच नफरत फैलाने का काम भी यहीं से करता था।